सुंदरकांड का हिंदी अनुवाद

दोस्तों “जय श्री राम” . क्या आपने रामचरित मानस पढ़ी या सुनी है। अगर हाँ तो आपको पता होगा की रामचरित मानस में भगवान श्री राम के जीवन चरित्र को बताया गया है। जहाँ बात की जाए रामायण की तो सम्पूर्ण रामायण में भगवान राम के सुन्दर स्वरुप , जीवन काल, उनके आदर्शो का गुणगान किया गया है। आप भी क्या है “सुन्दर कांड ” ? , What is Sunder Kand या सुंदरकांड का हिंदी अनुवाद क्या होता है जानना चाहता है। तो आज हम इस Article के माध्यम से सुंदरकांड का हिंदी अनुवाद के बारे में जानते है।

सुंदरकांड का हिंदी अनुवाद

सुंदरकांड पाठ हिंदी में अर्थ | Sunderkand with Meaning in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज हम सुंदरकांड पाठ का हिंदी में अर्थ क्या होता है जानेगे। आपको बता दे की रामचरित मानस में जैसे राम भगवान के बारे वर्णन किया हुआ है, उसी तरह सुन्दरकांड़ में हनुमान जी के पराक्रम और वीरता का वर्णन किया हुआ है। अब आप सोच रहे होंगे की सुन्दरकांड क्या है। दोस्तों सुंदर कांड राम चरित मानस का 5 वा अध्याय है। सबसे पहले सुन्दरकाण्ड को रामायण में श्री वाल्मीकि जी ने संस्कृत भाषा में लिखा था। उसके बाद रम चरितमानस को तुलसी दास जी ने लिखी।

सुन्दरकाण्ड अवधि भाषा में लिखी गई है , जो रूप हमारे सामने है वे सबसे प्रचलित है। सुन्दरकांड में हनुमान जी की सीतामाता की खोज में किए गए पराक्रम की महिमा बताई गई है। जब हनुमान जी सीतामाता की खोज में लंका गए थे उस यात्रा का संपूर्ण मनमोहक वर्णन “सुन्दरकांड” में किया गया है।

सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी का गुणगान गाया गया है। जहाँ रामायण श्री राम के जीवनकाल , आदर्शो से प्रेरित है ,उसी तरह सुन्दरकाण्ड रामचरित मानस का एक ऐसा पाठ है , जो सिर्फ हनुमान जी की वीरता और भक्ति का गुणगान करता है। सुन्दर कांड हनुमान जी को समर्पित सबसे पुरानी रचना मानी जाती है। ऐसा भी माना जाना जाता है जो सुन्दरकाण्ड का नियमित पाठ करता है हनुमान जी उनकी सारी तकलीफ दूर करके उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करते है।

सुंदरकांड के 60 दोहे अर्थ सहित | संपूर्ण सुंदरकांड चौपाई दोहा सहित

दोस्तों सुन्दरकांड में कुल 60 दोहे, 526 चौपाइयाँ, 6 छंद और 3 श्लोक दिए गए है। सुन्दरकांड में 5 से 7 चौपाइयों के बाद 1 दोहा आता है। चलिए दोस्तों सरल शब्दों में सुन्दरकाण्ड समझ ने का प्रयास करते है।

सुंदरकांड का हिंदी अनुवाद

चौपाई

जामवंत के बचन सुहाए।

सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥

तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई।

सहि दुख कंद मूल फल खाई॥

भावार्थ — जामवंत जी के सुहावने वचन सुनकर हनुमानजी को अपने मन में वे वचन बहुत अच्छे लगते है और हनुमानजी कहते की हे भाइयों ! आप लोग कन्द, मूल व फल खाकर समय बिताना और दुःख सहकर मेरी राह देखना। जय सियाराम जय जय सियाराम॥‌‌‌

जब लगि आवौं सीतहि देखी।

होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥

यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा।

चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा॥

भावार्थ— हनुमान जी कहते है जबतक मैं सीतामाता को देखकर लौट न आऊँ, क्योंकि यह कार्य पूरा होने पर मन को बड़ा हर्ष होगा। ऐसे कह, सबको नमस्कार करके, राम भगवान का ह्रदय में ध्यान धरकर, प्रसन्न होकर हनुमानजी लंका जाने के लिए निकलते है। जय सियाराम जय जय सियाराम॥‌‌‌

सिंधु तीर एक भूधर सुंदर।

कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥

बार-बार रघुबीर सँभारी।

तरकेउ पवनतनय बल भारी॥

भावार्थ  — हनुमान जी समुद्र के तीर (किनारे) पर एक सुन्दर पहाड़ देखते है। उसपर कूदकर हनुमानजी कौतुकी से चढ़ जाते है। फिर बारबार मनमे रामचन्द्रजी का स्मरण करते है, बड़े ही पराक्रम के साथ हनुमानजी गर्जना करते है । जय सियाराम जय जय सियाराम॥‌‌‌

जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता।

चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥

जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।

एही भाँति चलेउ हनुमाना॥

भावार्थ — ऐसा कहा जाता है की जिस पहाड़ पर हनुमानजी ने पाँव रखकर ऊपर छलांग लगाई थी,वही पर ही वो पहाड़ पाताल के अन्दर चला गया था ,जैसे भगवान राम का अमोघ बाण जाता है, इस प्रकार हनुमानजी वहां से चलते है ।  जय सियाराम जय जय सियाराम॥‌‌‌

जलनिधि रघुपति दूत बिचारी।

तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥

भावार्थ — समुद्र जब जानते है की हनुमानजी श्रीराम (रघुनाथ) का दूत है तो वो मैनाक नामक पर्वत से कहते है की हे मैनाक!  तू जा, और इनको यानि हनुमानजी को ठहरा कर श्रम मिटानेवाला बन जा। जय सियाराम जय जय सियाराम॥

सिन्धुवचन सुनी कान, तुरत उठेउ मैनाक तब।

कपिकहँ कीन्ह प्रणाम, बार बार कर जोरिकै॥

भावार्थ — जैसे ही समुद्र के यह वचन मैनाक पर्वत के कानो में पड़ते है मैनाक पर्वत वहां से तुरंत उठ जाते है और हनुमानजी के पास आकर हाथ जोड़कर हनुमानजी को प्रणाम करते है। जय सियाराम जय जय सियाराम॥‌‌‌

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सुन्दर कांड के फायदे | Benefits of Sunder Kand

सुंदरकांड राम-चरित-मानस का वह अध्याय है जो मुख्य रूप से भगवान हनुमान पर केंद्रित है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित यह महाकाव्य हनुमान चालीसा पढ़ने के समान ही शुभ माना जाता है।

राम-चरित-मानस के इस अध्याय में, जाम्बवान भगवान हनुमान को उन अलौकिक शक्तियों के बारे में याद दिलाते हैं जिन्हें वह भूल गए हैं। जाम्बवान ने उसे बताया कि कैसे उसने अपनी याददाश्त खो दी है और उसे यह भी याद नहीं है कि वह कितनी कुशलता से उड़ सकता है। वह हनुमान को समझाता है कि वह महासागर को पार करने में सक्षम है और कैसे उसकी महाशक्तियाँ उसे सीता के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में मदद करेंगी जिनका रावण ने अपहरण कर लिया है।

सुंदरकांड का महत्व और महत्ता इससे मिलने वाली जीवन शिक्षाओं में निहित है। इसका जाप अपनी सुविधानुसार सुबह या शाम कभी भी किया जा सकता है।

सुंदरकांड इतना प्रभावशाली है कि इसका नियमित पाठ करने से अनिष्टों से मुक्ति मिलती है। यह व्यक्ति के जीवन से सभी नकारात्मकता और बाधाओं को दूर करता है और व्यक्ति को सुख और समृद्धि प्रदान करता है। महाकाव्य इस बात का वर्णन है कि कैसे एक सच्चा भक्त अपनी भक्ति को पूरा करने के लिए सभी परिस्थितियों पर विजय प्राप्त कर सकता है।

सुंदरकांड आपको सिखाता है कि अगर कोई ठान ले तो जीवन की हर कठिनाई और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पर कैसे जीत हासिल कर सकता है। सीता माता की भक्ति में भगवान हनुमान ने समुद्र को कैसे पार किया, यह इस बात का उदाहरण है कि ज्ञान और शक्ति जीवन में किसी भी बाधा का उत्तर है।

नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति की शक्ति और दृढ़ संकल्प में वृद्धि होती है।

साथ ही, यह दर्शाता है कि भगवान हमेशा उन भक्तों की सराहना करते हैं जिनके पास शुद्ध हृदय, नेक विचार और स्पष्ट दिमाग है। “निर्मल मन जन सो मोहे पावा, मोहे कपट छल छिद्र न भाव।”

नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करने से आपके जीवन की सभी बाधाओं और समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। इस जबरदस्त मदद के श्लोकों को पढ़ने से आपको अपने कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। यह आपको ग्रहों की स्थिति के दुष्प्रभाव से भी बचाता है।

सुंदरकांड भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए जाना जाता है। आप तनाव को दूर रखते हुए, शांति के साथ जीवन के वास्तविक सार का आनंद ले सकते हैं।

व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को सुधारने में सुंदरकांड अहम भूमिका निभाता है।

रोजाना सुंदरकांड का पाठ करने से आपके सभी भय दूर हो जाते हैं। यह आपको अधिक आत्मविश्वासी बनाता है, और आप उन चीज़ों से डरना बंद कर देते हैं जो जीवन में शायद ही मायने रखती हैं।

मोक्ष प्रदान करना किसी के जीवन का अंतिम लक्ष्य है। सुंदरकांड मोक्ष की ओर एक कदम है।

दोस्तों तो यह थी “ सुंदरकांड का हिंदी अनुवाद” के बारे के कुछ जानकारी?, आशा करते है आपको इस Article कुछ जानकारी मिली होगी। और अगर आपको यह Post अच्छी लगी हो तो इस Share करना ना भूले और कुछ समज में ना आया हो तो आप Comment भी कर सकते है। हमारा Article यहाँ तक पढ़ने के लिया आपका धन्यवाद ….

FAQ’s About सुंदरकांड का हिंदी अनुवाद


1. सुंदरकांड करने का सही समय क्या है ?

सुन्दरकाण्ड सभी इच्छाओ को पूर्ण करने वाला है यदि आप सुंदरकांड का पाठ सुबह 4:00 से 6:00 बजे यानी ब्रह्म मुहूर्त में करते है तो आपको इसका अत्यधिक लाभ मिलता है। आप इस सुबह या शाम के समय भी कर सकते है।

2. सुंदरकांड की कहानी क्या है?

सुंदरकाण्ड में हनुमानजी के पराक्रम की कहानी की गई है। हनुमान जी का लंका में प्रस्थान, लंका दहन और लंका से वापसी तक की सारी मुख्य घटना बताई गई हैं। इसमें हनुमान जी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीता से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी जैसे प्रसंगो का भी वर्णन है।

3. घर पर सुंदरकांड कैसे पढ़ा जाता है?

हनुमानजी और श्री राम की फोटो या प्रतिमा के सामने बैठकर हनुमान और राम भगवान की फूल ,दिप आदि से पूजा का अपने ईष्ट देव को याद करके आप सुन्दर कांड का पाठ करना शुरू कर सकते है।

4. सुंदरकांड करने से घर में क्या फायदा होता है?

सुन्दरकाण्ड के पाठ से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है, भगवान राम का आर्शीवाद मिलता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, भय से मुक्ति मिलती है, कार्यों में विघ्न नहीं आता।

5. सुंदरकांड कितने दिन तक पढ़ना चाहिए?

सुन्दरकाण्ड आप अपनी इच्छा अनुसार पढ़ सकते है। आप सुंदरकांड का पाठ 11 ,21 या 51 दिन भी कर सकते है।

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