Ramayan Mein Kitne Adhyay Hain | जाने रामायण में कितने कांड है ?

नमस्कार दोस्तों, आपने भी रामायण तो जरूर सुनी या देखी होगी। जैसा की हमे पता है, की रामायण हिन्दू धर्म की एक धार्मिक पुस्तक है। हम जानते है की रामायण भगवान राम की गाथा है। भगवान राम के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने मिलता है। आपने भी रामायण टीवी पर या यूट्यूब पर जरूर देखी होगी। लेकिन क्या आपको पता है की Ramayan Mein Kitne Adhyay Hain अगर आपको नहीं पता की रामायण में कुल कितने अध्याय हैं ? तो कोई बात नहीं आज के आर्टिकल में हम रामायण के कितने कांड है ? चलिए शुरू करते है,

Ramayan Mein Kitne Adhyay Hain

Ramayan Mein Kitne Kand Hai | रामायण के कुल कितने भाग हैं?

रामायण एक ऐसी गाथा है जो राम भगवान के जीवन की कहानी बताती है। हिन्दू रघुवंशी राजा राम के जीवन आदर्श की यह कथा आदि कवि वाल्मीकि द्रारा लिखी गई है। रामायण संस्कृत भाषा में लिखा हुआ एक महाकाव्य है। यह महाकाव्य “आदिकाव्य ” भी कहा जाता है। जैसा की आपने भी देखा होगा की रामायण में अलग अलग प्रसंग दिखाए जाते है। पूरी रामायण अद्ध्यायो में विभाजित की गई है। बात करे रामायण की अध्याय की तो रामायण में कुल सात अध्याय है।और इन अद्ध्यायो को काण्ड के नाम से भी जाना जाता हे। ये अध्याय या काण्ड में 24000 श्लोक है। रामायण के सभी अध्यायों में से सबसे बड़ा अध्याय बालकाण्ड तथा सबसे छोटा किष्किन्धाकाण्ड है। अगर रामायण शब्द का विश्लेषित किया जाये तो “राम का अयन” होता है। जिसका मतलब “राम की यात्रा” होता है।

रामायण एक ऐसी गाथा है जिसमे भगवान श्री राम के जीवन का सजीव और सुंदर चित्रण किया गया है। इससे हमें जीवन के आदर्शो के बारे में जानना मिलता है। भगवान राम के आज्ञाकारी मर्यादा पुरुसोत्तम, पिता के प्रति प्रेम और आदर भाईओ के प्रति स्नेह जैसे गुणों का चित्रण बताया गया है, जिसे हमें हमारे जीवन में अपनाना चाहिए। चलिए रामायण में कितने कांड है? के बारे में जानते है।

Ramayan Mein Kitne Adhyay Hain

दोस्तों जैसे किसी बड़े विषय को समझने के लिए उसे भागो में विभाजित किया जाता है वैसे की रामायण को भी सात भागो में बांटे गया है। चलिए इन सात कांडों को विस्तार से समझते है,

1) बालकांड

2) अयोध्याकांड

3) अरण्यकांड

4) किष्किन्धाकांड

5) सुन्दरकांड

6) लंकाकांड

7) उतरकांड

1) बालकांड

आपने भी रामायण में देखा होगा की सबसे पहले राम भगवान के बचपन के बारे में बताया जाता है। रामायण के सभी अध्यायों में सबसे पहले बालकाण्ड का महिमा बताया गया है। बालकाण्ड में भगवान राम और उनके भाईओ के जन्म से लेकर विवाह तक की कथा का विस्तार से विवरण किया हुआ है। आयोध्या के राजा दशरथ के तीन पत्नीयां होती है लेकिन उनके कोई संतान नहीं होती। संतान प्राप्ति के लिए राजा दशरथ पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ करवाते है । और यज्ञ के फलस्वरूप उन्हें तीनो पत्निओ से चार पुत्रो की प्राप्ति होती है। राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या ने प्रभु राम , पत्नी कैकई ने भरत और पत्नी सुमित्रा ने लक्ष्मण तथा शत्रुघन को जन्म दिया।

चारो भाईओ के थोड़े बड़े होने पर उन्हें शिक्षा के लिए आश्रम भेज दिया जाता है। जब वे शिक्षा ग्रहण करके आते है तो वे अपने महल में थोड़े ही दिन व्यतीत करते है। फिर गुरु विश्वामित्र भगवान राम और लक्ष्मण को अपने साथ वनों में राक्षसों से ऋषियों की रक्षा करने के लिए अपने साथ ले जाते है।

वनों में श्री राम कई राक्षसों का वद करते है। बालकाण्ड में कई घटनाओ का विवरण किया गया है जैसे अiहल्या की श्राप से मुक्ति और कई राक्षसों का उद्धार श्री राम ने किया। राजा जनक अपनी पुत्री सीता का स्वयंवर का आयोजन करते है, उसमे प्रभु श्री राम भाई लक्ष्मण और गुरु विश्वामित्र के साथ जाकर धनुष-भंग कर सीता माता से विवाह करते है। उनके साथ लक्ष्मण से उर्मिला, भरत से मांडवी और शत्रुघन से श्रुतकीर्ति के विवाह का वर्णन भी है।

2) अयोध्याकांड

रामायण का दूसरा अध्याय अयोध्या कांड है। जिसमे प्रभु श्री राम के विवाह से लेकर उनके जीवन में बनी विशेष घटना का उल्लेख दिया गया है। इस कांड में राम सीता के विवाह के बाद महल की दासी की बातो में आकर राजा दशरथ की सबसे प्रिय पत्नी कैकई अपने दो वरदान मांगती है। दो वरदान में वे अपने पुत्र भरत के लिए राज्य सिंहासन और भगवान श्री राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगती है। श्री राम अपने पिता के वचन के लिए माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास चले जाते है।

राजा दशरथ पुत्र के वियोग में मृत्यु को प्राप्त हो जाते है। भरत अयोध्या के राजा बनने से मना कर देते है। और प्रभु श्री राम को ढूढ़ने चले जाते है। राम भरत का मिलन होता है, राम को राजा दशरथ के मृत्यु का समाचार देते है और अयोध्या वापस लौटने को कहते है। लेकिन प्रभु राम उन्हें समझाकर अपनी चरण पादुका के साथ अयोध्या भेज देते है। लेकिन भरत भी राजमहल छोड़कर नन्दिग्राम में कुटिया बांधकर रहते है।

3) अरण्यकांड

अयोध्या कांड के बाद अरण्य कांड का उल्लेख है। जिसमे अरण्य यानि वन में हुई घटना के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस अध्याय में श्री सीता अनुसूया का मिलन, सुतीक्ष्ण जी का प्रेम, पंचवटी निवास, खर-दूषण वध, मारीच प्रसंग, माता सीता का रावण द्रारा हरण जैसे प्रसंगो का विस्तार से विवरण बताया गया है।

साथ ही पंचवटी में लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काटने के प्रसंग का भी उल्लेख किया
गया है। शूर्पणखा रावण की बहन होती है और इसी अपमान का बदला लेने के लिए रावण माता सीता का हरण करता है। रावण सीता माता को राम से दूर करने के लिए मारीच को सुवर्ण मृग बनाकर छल से माता सीता को बलपूर्वक अपने साथ पुष्पक विमान में ले जाता है। माता सीता की पुकार सुनकर जटायु मदद के लिए आते है। लेकिन रावण उन्हें घायल करके माता सीता को लंका ले जाते है। श्री राम माता सीता की शोध में निकलते है।

4) किष्किन्धाकांड

रामायण का चौथा अध्याय किष्किन्धा कांड है। जिसमें प्रभु श्री राम के सीता माता की खोज में किष्किन्धा पहुंचते है। और वहाँ पर श्री राम का मिलन उनके प्रिय भक्त हनुमान से होता है। वहाँ भगवान राम की सुग्रीव से मित्रता होती है। फिर राम भगवान की मदद से राजा बलि का वध होता है। किष्किन्धा की वानर सेना और हनुमान जी की मदद से श्री राम माता सीता की खोज के लिए निकलते है। वे सब समुद्र किनारे तक पहुंचते है और उन्हें सम्पाती से पता चलता है, की माता सीता को रावण ने अशोक वाटिका में कैद किया है। हनुमान जी वहाँ तक पहुंचने की तरकीब सोचते है।

5) सुन्दरकांड

रामायण का पांचवा अध्याय सुन्दरकांड है। सुन्दरकाण्ड में हनुमान के पराक्रम की गाथा बताई गई है। बिना सुन्दरकाण्ड के रामायण की कल्पना असंभव सी है। आपने कही न कही जरूर सुना होगा की सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी की भक्ति और शक्ति का प्रमाण बताया गया है। इसमे बताया गया है की हनुमान जी कोसों तक फैला हुआ समुद्र लाँघकर माता सीता का पता लगा लेते है। माता सीता से भेटकर उन्हें श्री राम का सन्देश पहुंचाते है। और आश्वासन देते है की प्रभु श्री राम जल्द ही उन्हें यहाँ से मुक्त करवाएगे। हनुमान जी अपनी पूछ से लंका का दहन करते है। वापस आकर श्री राम को माता सीता की स्थिति बताते है और जल्द ही लंका पर आक्रमण की सलाह देते है।

प्रभु श्री राम समुद्र से रास्ता मांगते है, लेकिन जब समुद्र देव नहीं आते तो लक्ष्मण जी गुस्सा होकर बाण संधान करते है। और समुद्र देव रास्ता दे देते है। लंका में विभीषण रावण को समजाते है की सीता माता को आदरपूर्वक श्री राम को लौटा दे लेकिन रावण नहीं मानता। वे विभीषण का अपमान कर लंका से निकल देते है और विभीषण प्रभु श्री राम की शरण में आ जाते है।

सुंदरकांड में ही रामसेतु का उल्लेख मिलता है। वानर सेना मे से नल और नीर की मदद से श्री राम के नाम के पत्थर का तैरना की घटना का भी वर्णन यहाँ मिलता है। रामसेतु बनाकर श्री राम लंका पहुंच जाते है।

6) लंकाकांड

लंकाकांड रामायण का एक अध्याय है ,जिसमे लंका में हुए श्री राम और रावण के बीच हुए युद्ध का वर्णन है। इस कांड में रावण की सेना के साथ श्री राम की सेना, वानर सेना के साथ युद्ध होता है। रावण अपने भाई कुंभकर्ण को जगाते है और युद्ध में उनकी मृत्यु हो जाती है। रावण अपने पुत्र को युद्ध में भेजता है और मेधनाथ के साथ लक्ष्मण का युद्ध होता है। जिसमे लक्ष्मण को बाण लगने से वे मूर्छित हो जाते है। और श्री राम भक्त हनुमान संजीवनी के लिए पूरा पर्वत उठा लाते है और लक्ष्मण की जान बचाते है। युद्ध में श्री राम के द्रारा रावण के भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाद तथा अन्य योद्धा के वध के बाद रावण खुद युद्ध में आता है। श्री राम के युद्ध में रावण का संहार होता है और विभीषण को लंका का राजा घोषित किया जाता है।

7) उतरकांड

उत्तरकाण्ड रामायण का अंतिम अध्याय है। जिसमे सीता माता सहित श्री राम और लक्ष्मण अपने घर अयोध्या वापस लौट आते है।

दोस्तों हमने आज के आर्टिकल में हमने जाना की “Ramayan Mein Kitne Adhyay Hain” . आशा करते है आपको इस Article से जानकारी जरूर मिली होगी और आपको आपके सवाल का जवाब भी मिल गया होगा। हम ऐसे ही आपकी जानकारी बढ़ाने वाले आर्टिकल लाते रहेंगे। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो इस आगे Share करना न भूले। अगर आपको कुछ समझ न आए और आपको कुछ सुझाव देना हो, तो आप हमे Comment भी कर सकते है। Article यहाँ तक पढ़ने के लिए Thank You …..

FAQ’s About Ramayan Mein Kitne Adhyay Hain

1. रामायण का पहला अध्याय कौन सा है?

रामायण का सबसे पहला बालकाण्ड है, जो की सबसे बड़ा अध्याय भी है।

2. सबसे बड़ा कांड कौन सा है?

रामायण का सबसे पहल बालकाण्ड ही सबसे बड़ा अध्याय है।

3. रामायण का पुराना नाम क्या है?

रामायण का पुराना नाम आदिकाव्य है और वाल्मीकि रामायण भी है।

4. रामायण का दूसरा नाम क्या है?

रामायण का दूसरा नाम आदिकाव्य है, जो की आदिकवि वाल्मीकि के नाम से पड़ा है।

पढ़िए कुछ और महत्वपूर्ण Article

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *