Nabard Kis Mantralay Ke Adhin Hai | जानिए NABARD का फुल फॉर्म

दोस्तों, हमारा देश कृषि प्रधान देश है, देश में कई लोग खेती करते है। भारत सरकार देश के किसानों और सभी लोगों के कोई न कोई योजना द्रारा सहाय करती है। आपको पता होगा की लोन लेने के लिए हम बैंक और प्राइवेट संस्थाओ का संपर्क करते है। वैसे ही देश के गांवो के विकास और किसानों के लिए सरकार लोन देती है। ये लोन नाबार्ड के पास से ली जाती है। आपने NABARD के बारे में सुना होगा। क्या आपको पता है की Nabard Kis Mantralay Ke Adhin Hai ? अगर आपको नहीं पता की नाबार्ड किस मंत्रालय के आधीन है, तो ये आर्टिकल आपके लिए है। यहाँ हम नाबार्ड के फुल फॉर्म के बारे में बात करेंगे। चलिए आर्टिकल शुरू करते है,

Nabard Kis Mantralay Ke Adhin Hai

नाबार्ड किस मंत्रालय के आधीन है? | Nabard Kis Mantralay Ke Adhin Hai

भारत की सरकारी बैंकों का संचालन वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्रारा किया जाता है। NABARD एक संस्था है, जो राष्ट्र के कृषि और ग्रामीण विकास के लिए कार्य करती है। जैसे सभी सरकारी बैंकों की व्यवस्था वित्त मंत्रालय द्रारा की जाती है। वैसे ही नाबार्ड वित्त मंत्रालय भारत सरकार के आधीन है। नाबार्ड संपूर्ण संचालन भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग द्रारा किया जाता है। NABARD का पूरा हिंदी नाम राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक होता है। ये राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास के लिए कार्य करती है। नाबार्ड भारत के कृषि और ग्रामीण विकास के लिए शीर्ष बैंक है। नाबार्ड एक फाइनेंसियल संस्थान है, जो किसानों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है। चलिए जानते है की नाबार्ड का पूरा नाम क्या है और Nabard Ki Sthapna Kab Hui.

Nabard Ka Full Form | NABARD Full Form 2024

NABARD का पूरा नाम National Bank For Agriculture and Rural Development होता है, जिसका हिंदी अनुवाद राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक है। इसकी स्थापना 12 जुलाई 1982 को एक संसदीय अधिनियम द्वारा 1982 के राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम को लागू करके की गई थी।

यह एक शीर्ष विकास समुदाय है जो छोटे पैमाने के विनिर्माण, कृषि, कुटीर उद्योगों और अन्य छोटे पैमाने के ग्रामीण उद्यमों को लोन सेवा प्रदान करता है। नाबार्ड का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है और इसकी शाखाएँ पूरे देश में हैं।

नाबार्ड की स्थापना किस समिति

नाबार्ड का कार्य पहले समय में भारतीय रिज़र्व बैंक के कृषि पुनर्वित्त और विकास निगम (ARDC) द्वारा किया जाता था। नाबार्ड एक संस्था है, जिसे बी. शिवरामन समिति की सिफारिश पर 12 जुलाई 1982 को संसद के एक अधिनियम – राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1982 के तहत स्थापित किया गया था। यह संस्था कृषि उद्योग ग्रामीण कुटीर और लघु-स्तरीय उद्योगों के लिए ऋण यानि लोन आवश्यकता के हिसाब से नियमो के आधीन प्रदान करती है।

Nabard Ka Mukhyalay Kahan Hai

बात करे नाबार्ड के मुख्य कार्यालय की तो बता दे की, नाबार्ड का मुख्य कार्यालय मुंबई में है। नाबार्ड के 31 क्षेत्रीय कार्यालय देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित है। श्रीनगर में एक सेल, भारत के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में 04 प्रशिक्षण प्रतिष्ठान और 414 जिला विकास प्रबंधक जिला स्तर पर कार्यरत हैं।

मुख्य शिकायत निवारण अधिकारी

श्री आर वी रामकृष्ण
मुख्य महाप्रबंध

कारपोरेट आयोजना विभाग
द्वितीय तल, सी विंग
नाबार्ड प्रधान कार्यालय

प्लॉट सी -24, जी ब्लॉक, बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बीकेसी रोड, बांद्रा ईस्ट, मुंबई, महाराष्ट्र – 400051.

टेलीफोन: (91) 022-26539895/96/99
ई-मेल: [email protected]

कार्यालय का समय

सोमवार से शुक्रवार

9:00 बजे से 17:00 बजे तक (सार्वजनिक छुट्टियों पर बंद)

नाबार्ड का वर्तमान अध्यक्ष

नाबार्ड के वर्तमान अध्यक्ष श्री शाजी के वी हैं। उन्होंने 7 दिसंबर 2022 को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया। उन्होंने पूर्व में 21 मई, 2020 तक नाबार्ड के उप प्रबंध निदेशक (डीएमडी) के रूप में कार्य किया। वह अहमदाबाद में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) से सार्वजनिक नीति में PGDMके साथ कृषि स्नातक हैं।

नाबार्ड की भूमिका | Nabard Kis Mantralay Ke Adhin Hai

नाबार्ड ग्रामीण उद्योगों के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और बैंकों और ग्रामीण उद्योगों के बीच अंतर को पाटने के लिए यह एक बहुत जरूरी उपाय था। नाबार्ड के मुख्य कार्य वित्तपोषण और पुनर्वित्त, प्रचार, विकास, योजना, निगरानी और नियंत्रण और पर्यवेक्षण हैं।

नाबार्ड की भूमिकाएँ और कार्य विस्तार से निम्नलिखित हैं:

कृषकों और किसानों, कुटीर उद्योगों और अन्य समान छोटे पैमाने के व्यवसायों सहित ग्रामीण उद्योगों को वित्तपोषण सुविधाएं प्रदान करना। जैसा कि पहले चर्चा की गई है, यह इन उद्योगों की वित्तपोषण आवश्यकताओं के लिए सर्वोच्च निकाय है। यह निवेश के रूप में भी हो सकता है।

नाबार्ड पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली, आरबीआई और ग्रामीण उद्योगों के बीच एक पुल के रूप में काम करता है। ग्रामीण वित्तपोषण की प्राथमिक जिम्मेदारी नाबार्ड की है, लेकिन उसे ऐसी वित्तपोषण आवश्यकताओं को विनियमित और नियंत्रित करने के लिए आरबीआई और बैंकों के साथ लगातार संपर्क में रहना पड़ता है।

ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा देना भी नाबार्ड का प्रमुख उद्देश्य है। शहरी उद्योगों के मामले में, पहुंच कोई मुद्दा नहीं है, चाहे वह ऋण, आपूर्तिकर्ताओं, या ग्राहकों के लिए हो, शहरी उद्योग अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। नाबार्ड यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि यह ग्रामीण उद्योगों के लिए झटका साबित न हो। इससे इन उद्योगों की उपस्थिति महसूस करने में मदद मिलती है।

ऋण वितरण प्रणाली की अवशोषण क्षमता में सुधार करना। इसमें समाज के उन वर्गों तक ऋण का प्रवाह शामिल है जिनकी ऐतिहासिक रूप से इस तक पहुंच नहीं थी। वित्तपोषण व्यवसाय को और अधिक टिकाऊ बनाना और पारंपरिक बैंकिंग प्रणालियों को ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सुलभ बनाना महत्वपूर्ण है। 2016 में, नरेंद्र मोदी प्रशासन ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा था। ऋण के पुनर्गठन, लचीली या अनुकूलित ऋण सुविधाओं, पुनर्वास आदि द्वारा अवशोषण में सुधार किया जा सकता है।

पुनर्वित्तपोषण भी नाबार्ड की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। इसका मतलब यह है कि कोई भी संस्था जो ग्रामीण उद्योगों और उनके विकास के लिए वित्तपोषण सुविधाएं प्रदान करती है, उसे नाबार्ड द्वारा पुनर्वित्त किया जा सकता है।

इससे ग्रामीण उद्योग की ऋण और वित्तीय क्षेत्र तक पहुंच में सुधार होता है और भुगतान न करने की चिंता और संदेह दूर हो जाता है और वित्तीय संस्थानों के लिए छोटे व्यवसायों के साथ लेनदेन करने की बेचैनी दूर हो जाती है। इसके अलावा, ग्रामीण वित्तपोषण करना नाबार्ड की प्राथमिक भूमिका है, इसलिए इस तरीके से, वे इन गतिविधियों पर नज़र रख सकते हैं।

नाबार्ड ग्रामीण परियोजनाओं में निवेश या वित्तपोषण करता है, और गतिविधियों की निरंतर निगरानी करके परियोजना के प्रदर्शन को सुनिश्चित करता है और धन का अंतिम उपयोग परिणाम दे रहा है।

नाबार्ड विभिन्न कार्यक्रम भी चलाता है, जिनमें से कुछ पर नीचे चर्चा की गई है। वे आरबीआई या सरकार से संबद्ध भी हो सकते हैं।

Popular Initiatives (लोकप्रिय पहल) | नाबार्ड योजना

नाबार्ड द्वारा शुरू की गई कुछ सफल परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं, जो हमें भारतीय अर्थव्यवस्था में इसके योगदान को समझने में भी मदद करती हैं:

ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष, भारत सरकार द्वारा 1995-96 में 2,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ बनाया गया था। निधियों का प्रबंधन और रखरखाव नाबार्ड द्वारा किया जाता है। बजट दर बजट फंड के लिए पैसा आवंटित किया जाता है। इस फंड का मुख्य उद्देश्य राज्य सरकारों को ग्रामीण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए ऋण सुविधाएं प्रदान करना है।

किसान क्रेडिट कार्ड, जिसका मॉडल नाबार्ड द्वारा तैयार किया गया था और इसे 1998 में भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा कार्यान्वित किया गया था। यह किसानों को इनपुट की खरीद जैसे उद्देश्यों के लिए अल्पकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है।

स्व-सहायता समूह बैंक लिंकेज कार्यक्रम (एसएचजी-बीएलपी), जो कि 1992 में असंगठित क्षेत्र को वित्तीय क्षेत्र से जोड़ने और पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया एक माइक्रोफाइनेंसिंग कार्यक्रम है।

जैसा की हमने आज के Article में “Nabard Kis Mantralay Ke Adhin Hai” के बारे में जाना। आशा करते है की यहाँ तक आर्टिकल पढ़कर आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया होगा। अगर आपको हमारा आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे Share जरूर करना। और अगर आपके कोई सवाल या सुझाव हो तो आप हमे Comment भी कर सकते है। Thanks ….

FAQ’s About “Nabard Kis Mantralay Ke Adhin Hai”

1.नाबार्ड की स्थापना किस पंचवर्षीय योजना में हुई ?

नाबार्ड स्थापना बी. शिवरामन समिति की सिफारिशों पर 12 जुलाई 1982 को की गई थी। इसकी स्थापना छठवीं पंचवर्षीय योजना (1980-85) के दौरान हुई।

2.नाबार्ड के वर्तमान अध्यक्ष कौन है ?

नाबार्ड के वर्तमान अध्यक्ष श्री शाजी के वी हैं। उन्होंने 7 दिसंबर 2022 को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था।

3. नाबार्ड का मुख्यालय कहाँ है ?

नाबार्ड का मुख्यालय मुंबई में स्थित है। और कई राज्यों ओके केंद्रशासित प्रदेशो में भी कई कार्यालय है।

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