KYC Ka Matlab Kya Hota Hai | जानिए KYC का मतलब और फुल फॉर्म

किसी भी बैंक या संस्थान में ग्राहक की पहचान उसका आधार कार्ड देता है। आपने भी जब बैंक में खाता खुलवाया होगा, तब आपने भी बैंक में पहचान-पत्र, पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और आधार कार्ड जैसे तमाम जरुरी बैंक में जमा करवाए होंगे। KYC बैंक और ग्राहक के बीच पहचान सुनिश्चित करता है। RBI के नियमों के मुताबित नये और पुराने ग्राहकों के लिए KYC प्रक्रिया जरुरी है। क्या आप जानते है की KYC Ka Matlab Kya Hota Hai ? अगर आप नहीं जानते की KYC का क्या मतलब है, तो आज के आर्टिकल में हम KYC क्या है, KYC कब और क्यों जरुरी है जानेगे।

KYC Ka Matlab Kya Hota Hai

KYC Ka Matlab Kya Hota Hai in Hindi

KYC का पूरा नाम “Know Your Customer” है। जैसा की नाम से ही पता चलता है की “अपने ग्राहक को जाने”, यह एक दस्तावेज़ीकरण प्रक्रिया है। जिसके माध्यम से अपने ग्राहक के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसमें ग्राहक के पहचान और एड्रेस के प्रमाण के रूम में जानकारी प्राप्त होती है।

किसी भी संस्थान में फिक्स्ड डिपॉज़िट, म्यूच्यूअल फंड या बैंक अकाउंट में निवेश करने से पहले KYC जमा करवाना अनिवार्य होता है। KYC करना हर व्यक्ति के लिए एक बार ही होता है, जब वो पहली बार निवेश करना शुरू करता है। KYC भारत और RBI में वर्ष 2002 में अस्तित्व में आया था। और वर्ष 2004 में सभी बैंकों के लिए दिसंबर 2005 तक सभी ग्राहकों के लिए KYC अनिवार्य कर दिया गया था।

बैंक केवाईसी क्या है

KYC बैंकिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें ग्राहक को कोई भी वित्तीय सेवा देने से पहले ग्राहक की पहचान करना जरुरी है। बैंक और अन्य संस्थान अवैध गतिविधि को रोकने के लिए KYC प्रक्रिया में ग्राहक की पूरी जानकारी लेती है, जैसे उसका नाम, जन्मतिथि या पता, साथ ही पहचान कार्ड और पासपोर्ट जैसे दस्तावेज़ भी सत्यापित करती है।

बैंक KYC में ग्राहक की जानकारी होना जरुरी है, जिसकी मदद से बैंक और ग्राहक को धोखाधड़ी जैसी गतिविधि से बचाया जाए। KYC अवैध गतिविधि रोकने के साथ क़ानूनी लेनदेन की अनुमति देता है, साथ ही बैंक और ग्राहक दोनों को सुरक्षित रखने में मदद करता है।

आपको KYC क्यों करना चाहिए?

KYC बैंक, संस्थान और ग्राहक के लिए आवश्यक और सुरक्षित भी है। अगर आप KYC करते है, तो आप अपनी पहचान, पता और वित्तीय जानकारी बैंक को देते है। ऐसा करने से बैंक सुनिश्चित हो जाती है, की आप बैंक या किसी संस्थान में जो निवेश कर रहे है वो अवैध गतिविधियों के लिए नहीं है। म्युचअल फंड, फिक्स्ड डिपॉज़िट आदि में निवेश करने से पहले KYC जरुरी है।

KYC कब जरुरी है?

बेहतर पारदर्शिता और वैधता के लिए केवाईसी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह धोखाधड़ी गतिविधियों के जोखिम को कम करने में मददरूप है। ये जानना भी जरुरी है की KYC की जरुरत कब और कहाँ पड सकती है। ज़्यादातर दो क्षेत्रों में KYC अनिवार्य है,

KYC बैंकों के लिए

बैंक खाता खोलने और राशि जमा, म्यूचुअल फंड, सावधि जमा आदि में निवेश करने के लिए केवाईसी अब जरुरी हो गया है। बैंक के लिए एक वैध ग्राहक की पहचान करना महत्वपूर्ण हो जाता है ताकि वह आसानी से धोखाधड़ी का अनुमान लगा सके और उसे रोक सके।

KYC निवेश के लिए

बीमा पॉलिसी ख़रीदने के लिए और काले धन की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए निवेश के लिए KYC आवश्यक है। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी जीवन बीमा और म्युचअल फंड निवेशकों द्रारा KYC प्रक्रिया का पालन किया जाता है।

KYC के प्रकार

आधार आधारित KYC: –

आधार आधारित KYC में ग्राहक अपनी आधार की जानकारी देकर KYC करवा सकता है। जबकि उसे केवल हर वर्ष 50,000 रूपये में निवेश करने की अनुमति है।

वीडियो आधारित KYC:-

वीडियो-आधारित KYC एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें ग्राहक अपनी पहचान रिमोट वीडियो टेक्नोलॉजी की मदद से ग्राहकों की पहचान प्रमाणित कर सकते है। इस तरह की प्रमाणीकरण प्रक्रिया विश्वव्यापी ग्राहकों के लिए उपयोग में ली जाती है।

व्यक्तिगत KYC:-

व्यक्ति KYC में ग्राहक अपने बायो मेट्रिक डेटा देकर भी KYC प्रक्रिया कर सकता है। जिसमें ग्राहक की फिंगरप्रिंट या चेहरे को सत्यापित कराया जाता है।

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KYC ऑफलाइन कैसे करें? | KYC कैसे करें?

ऑफलाइन KYC में ग्राहक को बैंक या संस्थान में खुद जाकर अपना पहचान पत्र और एड्रेस प्रूफ जमा करवाना होता है।

KYC ऑनलाइन कैसे करें? | E-KYC Online क्या है?

Online KYC , ई-केवाईसी या इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर अनिवार्य रूप से वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा KYC किया जाता है। तो, ऑनलाइन KYC में बैंक या संस्थान को अधिकृत संगठन और एजेंट आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से ग्राहक की पहचान और पते को डिजिटल रूप से सत्यापित करते हैं।

KYC के लिए जरुरी दस्तावेज़

KYC व्यक्ति की पहचान और पता जानने का एक तरीका है। सरकार द्रारा प्रमाणित दस्तावेजों को सरक़ार ने अनिवार्य बना दिए है। KYC में दो तरह के दस्तावेज़ होते है, पहचान प्रमाणपत्र और पते का प्रमाणपत्र।

पहचान प्रमाणपत्र के लिए नीचे दिए गए दस्तावेज़ जरूर है:

  • आधार कार्ड, पासपोर्ट, पैन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेन्स
  • किसी केंद्र या राज्य विभाग या संस्थान द्रारा जारी किया हुआ आईडी कार्ड।
  • बैंकों और सार्वजनिक वित्तीय संस्थान द्रारा दिया हुआ आई डी कार्ड।
  • विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों द्वारा दिया हुआ आईडी कार्ड

पते के प्रमाण के लिए नीचे दिए गए दस्तावेज़ जरूर है:

  • मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, राशन कार्ड, पट्टा समझोता या रखरखाव बिल।
  • बैंक स्टेटमेंट या पासबुक।
  • 3 महीने से कम पुराण बिजली या गैस बिल।
  • किसी भी आई डी कार्ड पर लिखा हुआ पता।

केवाईसी के लाभ | Benefits of KYC

ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी होने के बाद से बेकिंग और निवेश क्षेत्र में KYC प्रकाश में आया है। KYC की पारदर्शी प्रक्रिया के कारण संस्थान और ग्राहक भी सुरक्षित महसूस करते है। KYC के कुछ लाभ भी है। नीचे दिए गए लाभ देखते है,

  • बैंक या संस्थान में KYC ग्राहक की पहचान स्थापित करता है।
  • मनी लॉन्ड्रिंग के जोखिम का आकलन करने में KYC मदद करता है।
  • KYC वित्तीय संस्थानों को अचानक होने वाले नुकसान से बचाता है।
  • ये संस्थान के ग्राहकों की रक्षा करता है।
  • व्यक्तियों और व्यक्तियों के बीच KYC विश्वास सुनिश्चित करता है।
  • छिपी हुई पहचान के कारण होने वाली वित्तीय धोखाधड़ी से KYC बचाता है।

KYC Full Form in Hindi | KYC Ka Full Form

KYC का Full Form “Know Your Customer” होता है। इसका मतलब है “अपने ग्राहक को जानें”। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा बैंक ग्राहकों की पहचान और पते के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि बैंकों की सेवाओं का दुरुपयोग न हो।

K – Know (जाने)
Y – Your (अपने)
C – Customer (ग्राहक)

FAQ’s About “KYC Ka Matlab Kya Hota Hai”

1. बैंक में KYC कैसे होता है?

बैंक में KYC करने का सबसे आसान तरीका बैंक में व्यक्तिगत जाकर अपना आधार कार्ड या पहचान पत्र देकर OTP की मदद से कर सकते है।

2. KYC का मतलब क्या है?

KYC का मतलब नो योर कस्टमर है, जिसका अर्थ अपने कस्टमर के बारे में जानने प्रक्रिया होता है। इसके अंतर्गत कस्टमर KYC फॉर्म के साथ आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड या पासपोर्ट जैसे दस्तावेज़ की फोटो कॉपी जमा करवाते है।

3. केवाईसी करने से क्या फायदा होता है?

KYC की मदद से बैंको और अन्य वित्तीय संस्थानों को ग्राहकों की पहचान सत्यापित कर सकते है। जो किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचाव में मदद करता है।

4. बैंक खाते में केवाईसी नहीं होने पर क्या होगा?

अगर आप बैंक में KYC नहीं करवाते है, तो आप बैंक में ट्रांसेक्शन नहीं कर पाएगे। और आपको रिफंड भी नहीं मिलेगा। KYC की प्रॉसेस हर कस्टमर के लिए अलग़ होती है।

5. बैंक केवाईसी क्यों मांगते हैं?

बैंक KYC बैंक और ग्राहकों के साथ मनी लॉन्ड्रिंग / अवैध गतिविधिया न हो इसलिए कस्टमर की पहचान और वित्तीय जानकारी के लिए मांगती है।

Conclusion

अभी तक हमने जाना की KYC का मतलब क्या होता है, साथ ही जाना की KYC क्यों जरुरी है, उसके क्या फायदे है। आशा करते है आपको KYC के आधारित सवालों के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो आप इसे शेयर कर सकते है। और कुछ भी पूछने या सुझाव देने के लिए कमेंट भी कर सकते है।

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