केतकी का फूल कैसा होता है | जानिए क्यों हुआ केतकी का फूल श्रापित

दोस्तों, हमारे हिन्दू धर्म में भगवान की पूजा के लिए अलग़ अलग़ वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। हम भगवान की पूजा फल, फूल, धुप, दीप, अगरबत्ती से करते है। वैसे तो भगवान को सभी फूल अर्पित कर सकते है। लेकिन शायद आपको पता होगा की केतकी का फूल महादेव को क्यों चढ़ाना वर्जित माना जाता है। क्या आपने केतकी का फूल देखा है। अगर आपको नहीं पता की केतकी का फूल कैसा होता है। तो आजका आर्टिकल आपके लिए ही है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे की केतकी का फूल कैसा दिखता है और क्यों मिला केतकी क़े फूल को श्राप? चलिए शुरू करते है ,

केतकी का फूल कैसा होता है

Ketki Ka Phool Kesa Hota Hai | केतकी का फूल केसा दिखता है ?

वैसे तो सभी फूलों में अपनी अपनी विशेषताए होती है। केतकी का फूल अगर आपने नहीं देखा, तो आपको बता दे की केतकी का फूल एक खुश्बूदार पेड़ है। केतकी के पेड़ पर लंबी, नुकीली,चपटी, चिकनी और कोमल पत्तियाँ होती है। पत्ती के किनारे पर छोटे छोटे काँटे भी होते है, जो छूने पर लग भी सकते है। केतकी का फूल बरसात में खिलता है। केतकी का फूल सफ़ेद रंग का होता है, इसमें तीव्र सुगंध होती है। केतकी का फूल बाल की तरह होता है, जो लम्बी पत्तियों से ढका हुआ होता है।और ये जल को सुगन्धित करने के लिए भी इस्तमाल में लिया जाता है। केतकी के पेड़ दो प्रकार के पाए जाते है, जिसमें एक सफेद केतकी है। जिसे लोग ‘केवड़ा’ के नाम से जानते और पहचानते हैं। और दूसरी है पीली यानि सुवर्ण केतकी, जिसे ‘केतकी’ कहते हैं। इस फूल के लिए अपवाद ये है की केतकी के फूल पर भ्रमर नहीं बैठते और भगवान शिव की पूजा में भी इसका इस्तमाल करना वर्जित है। चलिए जानते है की केतकी का फूल भगवान शिव को क्यों पसंद नहीं है।

Ketki Ka Ped Kaisa Hota Hai?

दोस्तों अभी तक हमने जाना की केतकी का फूल कैसा होता है। आपने केतकी के फूल की फोटो में भी देखा की यह फूल बाकि सब फूलो से अलग दिखता है। लेकिन क्या आप केतकी का पेड़ कैसा होता है। अगर आपने केतकी का पेड़ नहीं देखा तो आज हम उसकी फोटो भी देखेंगे। चलिए जानते है की Ketki Ka Ped Kaisa Dikhta Hai?

केतकी के फूल का पेड़ छोटी डालियो वाली झाड़ी या पेड़ है। यह पेड़ छोटा ,घना और मजबूत जड़ो वाला होता है। इस पेड़ में लम्बे ,पतले हरे -भरे ,नुकीले ,काँटेदार पत्ते होते है। इसके फूल की खुशबु आसपास के वातावरण को सुगन्धित कर देती है। केतकी का पेड़ उसकी खुशबु से बड़ी जल्दी पहचाना जा सकता है। इसकी खुशबू इतनी तीव्र होती है ,जिससे ये पेड़ कहीं आसपास ही है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। नीचे दिए फोटो में आप देख सकते है की यह पेड़ कुछ कुछ खजूर के पेड़ की तरह दिखता है। केतकी के पेड़ की ऊंचाई लगभग 10 से 12 फिट जितनी ऊंची होती है। यह पेड़ ताड़ की तरह दिखाई देता है। केतकी के पेड़ की पत्तियाँ चमकदार और कांटेदार होती है जो की करीब 40 से 70 सेंटीमीटर जितनी लम्बी होती है। इनका रंग नीला – हरा होता है। इसके पत्ते तलवार की तरह नुकीले होते है।

केतकी का फूल भगवान शिव को क्यों पसंद नहीं है

दोस्तों फूलों का इस्तमाल भगवान को चढ़ाने के लिए भी किया जाता है। आपने देखा होगा की भगवान का मंदिर फूलो से सजाया जाता है। फूलों के हार चढ़ाए जाते है। भगवान को फूल चढाने से भगवान प्रसन्न होते है। महादेव को सफ़ेद रंग अत्यंत प्रिय है। और इसी कारण भगवान शिव को सफ़ेद रंग के फूलों का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। लेकिन आपको बता दे की एक ऐसा फूल है ,जो सफ़ेद और सुन्दर होने की बावजूत महादेव को चढ़ाना वर्जित माना जाता है।

आपको पता ही होगा की महादेव को कमलगट्ठा ,धतूरा ,बिलपत्र ,समीपत्र चढ़ाये जाते है। लेकिन केतकी का फूल भगवान शिव को पसंद नहीं है। आइए जानते है की केतकी का फूल महादेव को क्यों पसंद नहीं है। महादेव को केतकी का फूल नहीं चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा है।

भगवान शिव को केतकी का फूल कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे भगवान शिव नाराज हो सकते है। इसके पीछे एक की कहानी यह है की एक बार ब्रह्माण्ड के रचयिता भगवान ब्रह्मा और सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु के बीच इस बात को लेकर विवाद हो गया की दोनों में से सर्वश्रेष्ठ कौन है। विवाद बढ़ने की वजह से निर्णय लेने के लिए सभी महादेव को बुलाया गया। कहाँ जाता है की भगवान शिव ने अपनी शक्तियों से एक ज्योतिर्लिंग बनाया और दोनों भगवान से कहा कि जो भी ज्योतिर्लिंग का आरंभ और अंत पहले पहचान लेगा, वही सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा। भगवान विष्णु उस ज्योतिर्लिंग के ऊपर की ओर बढ़ने लगे जबकि भगवान ब्रह्मा शुरुआत का पता लगाने के लिए नीचे की ओर जाने लगे।

जब ब्रह्मा जी नीचे जा रहे थे तो उन्होंने केतकी के फूल को उसी दिशा में जाते देखा। उन्होंने केतकी के फूल को झूठ बोलने के लिए मना लिया और उसे अपने साथ भगवान शिव के पास ले गए। भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव से कहा कि उन्हें इस ज्योतिर्लिंग का आरंभ मिल गया है, और उन्हें केतकी के फूल से झूठी गवाही भी मिली। दूसरी ओर, भगवान विष्णु ने बताया कि उनके सर्वोत्तम प्रयासों के बाद भी उन्हें ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं मिला।

भगवान शिव जानते थे कि ब्रह्मा झूठ बोल रहे हैं और केतकी के फूल ने झूठी गवाही दी है। इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने भगवान ब्रह्मा का एक सिर धड़ से अलग कर दिया और केतकी फूल को श्राप दिया कि वह हमेशा के लिए भगवान शिव की पूजा से वंचित हो जाएगा। उस दिन के बाद से भगवान शिव को केतकी का फूल चढ़ाना वर्जित माना जाता है।

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केतकी का फूल अंग्रेजी में क्या कहलाता है? (Ketki Ka Phool in English)

वैसे तो केतकी शब्द मूल संस्कृत भाषा का है। जिसे भारत में कई नामो से पहचाना जाता है। केतकी का वैज्ञानिक नाम पैड़नस है। जिसे अंग्रेजी में कई नामों से जाना जाता है ,

  • स्क्रू पाइन (screw-pine),
  • अम्ब्रेला ट्री (umbrella tree)
  • स्क्रू ट्री(screw tree)
  • केवडा (Kewda) और
  • फ्रेग्रेंट स्क्रूपाइन (fragrant screwpine)

केतकी के अन्य नाम:

केतकी के फूल के कई नाम है। इसे कइ जगहो पर अलग अलग नाम से जाना जाता है। अजीब बात है, अमरकोआ में केतक या केतका का उल्लेख नहीं है, इस तथ्य के बावजूद कि एक संपादक ने वहां बताए गए “केसर” शब्द की पहचान “पांडनस” के रूप में की है। इसके पर्यायवाची शब्द ऊपर वर्णित ध्लिपुपिक और साइंस-प्यूपा प्रतीत होते हैं, हालाँकि स्थानीय भाषा में कई अन्य नाम इसे जानते हैं:

प्राकृत: केया, कीगी

केतकी फूल हिंदी में: केडगी, केवड़ा, गगन-धूलम, पीली केतकी

बंगाली में केतकी फूल: केतक, केतकी, केओड़ा, कीया, सौना

गुजराती में केतकी का फूल – केवड़ी

मराठी में केतकी फूल – पंढरा केवड़ा, केतकी

तमिल में केतकी फूल: केतकाई, ताई, ताईई

मलयालम में केतकी फूल: पुक्कैता, काइता, कैनाईसी, तांडम्पु

इसे अंग्रेजी में कैल्डेरा बुश, अम्ब्रेला ट्री और (सुगंधित) स्क्रूपाइन के नाम से भी जाना जाता है।

हालाँकि पैंडनस टेक्टोरियस, फ़ासीक्यूलिस और अधिकांश लोग इस बात से सहमत प्रतीत होते हैं कि यह पैंडनस ओडोरैटिसिमस है।

केतकी के पर्यायवाची शब्द | केतकी का फूल कैसा होता है

हमने अभी तक जाना की केतकी का फूल कैसा होता है। चलिए अब कुछ पर्यायवाची शब्द जानते है। जिसका अर्थ एक समान होता है,

पांशुका,
गगण धूल,
केओड़ा,
पुष्प चामर,
तीक्ष्ण गन्धा,
शूचीपत्र,
हलीन,
विफला,
मेध्या,
इंदुकलिका,
शिवदिष्टा,
क्रकचा,
दीर्घपत्रा,
स्थिरगंधा,
कटकदला,
दलपुष्पा

केतकी के फूल को हिंदी में क्या कहते है?

केतकी संस्कृत भाषा का शब्द है। केतकी को हिंदी में केवड़ा भी कहते है,जिसे के-व-डा भी कहाँ जाता है। केतकी के हिंदी में कई और नाम भी है। चलिए जानते है ,

अमरपुष्प,
अमरपुष्पक,
केवड़ा,
धूलिपुष्पिका,
महागंधा,
सूचिका,
हैमी,
जंबाला,
जंबूल,
तीक्ष्णपुष्पा,
नृपप्रिया,
नृपवल्लभा

Ketki Ka Ped Kaha Paya Jata Hai? (केतकी का फूल कहां पाया जाता है?)

केतकी एक सुगंधित फूलों वाला एक छोटा डालियो वाला झाड़ी या पेड़ है, यह पेड़ दक्षिणी भारत, बर्मा और अंडमान में जंगल विस्तार में पाया जाता है। यह पेड़ छोटा ,लम्बा और मजबूत जड़ों वाला होता है। इस पेड़ में लम्बे ,पतले ,नुकीले ,हरे भरे ,कांटेदार पत्ते होते है। केतकी का फूल ज्यादातर बारिश के मौसम में पाया जाता है। इसके फूल से सुगंधित खुशबु आती है जो आसपास के वातावरण को सुंगध से भर देती है।

Ketki Ke Phool Ka Upayog (केतकी के फूल के उपयोग)

  • केतकी का फूल बड़ा ही उपयोगी माना जाता है। इसका उपयोग कई जगह होता है। केवड़े का फूल दवाइओं ,अत्तर ,मिठाइओ में इस्तमाल किया जाता है।
  • हमारे देश में कई रसोई घरो में केवड़े के जल का उपयोग होता है।
  • केवड़े के फूल से इत्र (अत्तर) भी बनाया जाता है।
  • केवड़े के पत्तो से टोपी ,चटाइयाँ ,छाते भी बनाए जाते है।
  • केवड़े की नरम पत्तियों को कफनाशक माना जाता है और इसकी शाक यानि सब्जी भी बनाई जाती है।
  • कई लोग इसके तने से बोतल बंद करने वाला कॉक भी बनाते है।
  • इसका उपयोग त्वचा के लिए अच्छा माना जाता है। इसलिए इसका इस्तमाल सौंदर्यप्रसाधन में भी किया जाता है।
  • इसमें एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते है, जो स्वस्थ सम्बंधित परेशानियों को दूर करता है।

जैसा की हमने आज के Article में “केतकी का फूल कैसा होता है” के बारे में जाना। आशा करते है की यहाँ तक आर्टिकल पढ़कर आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया होगा। अगर आपको हमारा आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे Share जरूर करना। और अगर आपके कोई सवाल या सुझाव हो तो आप हमे Comment भी कर सकते है। Thanks ….

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