दोस्तों हिंदी साहित्य का हमारे इतिहास में बड़ा महत्व बता गया है। साहित्य में बात करे कविता और कहानियो की तो ढेरों कहानियाँ हमारे साहित्य के पिटारे में आपको मिल जाएगी। भारत के साहित्य में योगदान देने वाले कई महान विचारक, चिंतक आपको मिल जाएगे। कई कहानीया हमें इतनी अच्छी और सच्ची लगती है, जिससे हमें कुछ सीखना भी मिलता है। अगर आप भी हमारे हिंदी साहित्य में रूचि रखते है और आप भी कहानियाँ पढ़ना पसंद करते है। तो आपने “चिता के फूल” नामक रचना के बारे में जरूर सुना होगा। चिता के फूल एक कहानी है, ये आपको पता ही होगा। लेकिन क्या आपको पता है की “Chita Kiski Rachna Hai?”तो कोई बात नहीं। आज के आर्टिकल में Chita Kiski Rachna Hai के बारे में जानेंगे। चलिए आर्टिकल शुरू करते है,
![Chita Kiski Rachna Hai](https://hindimin.in/wp-content/uploads/2024/02/Chita-Kiski-Rachna-Hai.jpg)
Chita Kiski Rachna Hai | चिता के रचिता कौन है
हमें पता है की हमारे देश के साहित्य में कई महान विचारक और साहित्यकार का योगदान रहा है। साहित्य में की कविताएँ, कहानियाँ,उपन्यासे, निबंध और रेखाचित्र लिखे गए है। आज हम ऐसी एक कहानी “चिता के फूल” के रचिता में बात कर रहे है। हर कहानी या कविता के लेखक या कवि जरूर होते है “चिता के फूल” नामक कहानी को चिता नाम से भी जाना जाता है। “चिता के फूल” एक कहानी है और बात कर के Chita Kiski Rachna Hai . तो आपको बता दे की चिता “रामवृक्ष बेनीपुरी” की रचना है। रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे एक महान विचारक,चिंतक और क्रांतिकारी पत्रकार भी थे। उनकी कहानी संग्रहों में ‘लाल तारा’, ‘माटी की मूरतें’, ‘गेहूँ और गुलाब’, ‘चिता के फूल’, ‘शब्द-चित्र-संग्रह’, जैसी कहानियाँ शामिल है। चलिए रामवृक्ष बेनीपुरी के बारे में आगे विस्तार से जानते है।
चिता के फूल बेनीपुरीजी का एकमात्र कहानी संग्रह है, जिसमें कुल 7 कहानियाँ है। इस कहानी संग्रह में बेनीपुरीजी ने 1929 से 1930 के बीच लिखे गए यथार्थ का चित्रण किया है। यह कहानियाँ उन्होंने अपने जीवन पर लिखी है। चिता के फूल कहानी में स्वाधीनता की बलिवेदी स्वयं को भेंट करने वाले एक ग्रामीण युवक के शहीद होने का वृतांत किया गया है।
रामवृक्ष बेनीपुरी कौन थे | Chita Ke Rachita
जैसा की हम सब जानते है की हमारे देश ने अपनी आज़ादी के लिए बहुत कुछ कुर्बान किया है , फिर हमें ये आज़ादी मिली है। हम सब गाँधीजी, भगतसिंह, मंगल पांडे ,चंद्रशेखर आज़ाद को तो जानते ही है, की उन्होंने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी। लेकिन आज हम एक ऐसे ही देश की आज़ादी की लड़ाई में अपना योगदान देनेवाले बिहार के सुपुत की बात करने वाले है। बेनीपुरीजी ने देश की आज़ादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
रामवृक्ष बेनीपुरी की शिक्षा
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर के बेनीपुर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम फुलवंत सिंह था, वे एक साधारण किसान थे। उन्होंने बचपन में ही अपने माता – पिता को खो दिया था। उनके बाद वो अपने ननिहाल में अपनी मौसी के पास बड़े हुए। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बेनीपुर में की, और आगे की पढाई उनके ननिहाल में पूरी की। मेट्रिक पास होने से पहले ही उन्होंने अपनी पढाई 1920 में ही छोड़ दी और महात्मा गाँधी के साथ असहयोग आंदोलन जुड़ गए। लेकिन बाद में उन्होंने हिंदी साहित्य की ‘विशारद’ की परीक्षा पास की।
स्वतंत्रता संग्राम में बेनीपुरी का योगदान
देश के स्वतंत्रता संग्राम में बेनीपुरी का एक असीम योगदान रहा है। वे कोई राजनेता नहीं थे, लेकिन एक सच्चे देशभक्त थे। वे हिंदी साहित्य के पत्रकार थे, उन्होंने कई अखबारों से अपनी शरुआत की थी, जिसमें 1929 का युवक नाम का अख़बार भी शामिल था।बेनीपुरी स्वतंत्रता संग्राम में जुड़े रहे, इसी कारण उन्हें 1930 से 1942 तक जेल में रहना पड़ा। इसी समय बीच वे पत्रकारिता और साहित्य सर्जन में जुड़े रहे, बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन को खड़ा करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बेनीपुरी की पहली कविता 1916 में प्रताप में छपी तब उनकी उम्र सिर्फ 17 वर्ष थी। 1921 में बेनीपुरी द्रारा सम्पादिक किसान साप्ताहिक मुज्जरपुर से पत्र निकलना शुरू किया। बाद में इन्होंने 1926 में “बालक” मासिक पत्रिका का संपादन किया। 1929 ‘युवक पत्रिका’ के ‘बलिदान अंक’ के कारण उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और उन्हें जेल में रहना पड़ा। जेल में से उन्होंने अपने हस्तलिखित पत्र क़ैदी का संपादन किया। 1935 में जेल से छूटने के बाद लोक संग्रह नामक पत्र का संपादन किया। 1934 में हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रभारी बनाए गए।
Chita Kiski Rachna Hai
नाम | रामवृक्ष बेनीपुरी |
जन्म-तिथि | 23 दिसम्बर, 1899 |
मृत्यु – तिथि | 7 सितंबर, 1968 |
जन्म – स्थान | बेनीपुर, मुज़फ़्फ़रपुर(बिहार) |
पिता का नाम | श्री फूलचन्द्र |
व्यवसाय | स्वतंत्रता सेनानी, कवि, पत्रकार |
भाषा | खड़ी बोली, हिंदी भाषा |
उपन्यास | पतितों के देश में, आम्रपाली |
सम्पादन | ‘विद्यापति पदावली’ |
टीका | ‘बिहारी सतसई’ की सुबोध टीका |
कहानी संग्रह | ‘चिता के फूल’, ‘शब्द-चित्र-संग्रह’, ‘लाल तारा’, ‘माटी की मूरतें’, ‘गेहूँ और गुलाब’ |
निबंध | वन्दे वाणी विनायकौ’ और ‘सतरंगा’ (ललित निबन्ध) |
उपन्यास | ‘पतितों के देश में’, ‘कैदी की पत्नी’, ‘दीदी और सात दिन’ |
यात्रा-वृत्त | ‘ पैरों में पंख बाँधकर’, ‘उड़ते चलें’ |
नाटक | ‘अम्बपाली’, ‘सीता की माँ’, ‘संघमित्रा’, ‘सिंहलविजय’, ‘रामराज्य’, ‘गाँव के देवता’, ‘नया समाज’ तथा ‘नेत्रदान’ |
संस्मरण-रेखाचित्र | ‘जंजीरें और दीवारें’, ‘मील के पत्थर’, ‘मंगर’ |
जानिए पूरी जानकारी क्यों है चर्चे में MSP
Apradh Shastra Ka Pita Kaun Hai
बेनीपुरी जी की पत्र-पत्रिकाए है, जो नीचे दी गई हैं:
बालक
युवक
कैदी
योगी
जनता
हिमालय
नई धारा
चुन्नू मुन्नू
तरुण भारती
किसान मित्र
दोस्तों हमने आज के Article में “Chita Kiski Rachna Hai” के बारे में जाना। अगर आपने यहाँ तक ये आर्टिकल पढ़ा है, तो आपको अभी तक समझ आ गया होगा की Chita Kiski Rachna Hai. अगर आपको हमारा आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे Share करना मत भूलना। और अगर आपको कोई सवाल या सुझाव हो तो आप हमे Comment भी कर सकते है। धन्यवाद….