Ayurved Ka Pita Kise Mana Jata Hai | जानिये आयुर्वेद के जनक कौन है

नमस्कार दोस्तों, जैसा ही हम सब जानते है की हमे कोई भी दर्द होता है, तो हम डॉक्टर के पास जाते है। लेकिन कभी कभी कुछ बीमारिया ऐसी होती है, जो कितनी भी दवा करने से ठीक नहीं होती। पहले के समय डॉक्टर नहीं हुआ करते थे, उस समय वेद ही जड़ी बुट्टी और नशों को चेक करके कोई भी बीमारी ठीक कर दिया करते थे। अभी के समय में आयुर्वेद के इलाज से काफी लोग ठीक हो रहे है। लेकिन क्या आपको पता है की Ayurved Ka Pita Kise Mana Jata hai? अगर आपको नहीं पता की ayurved ka janak kise kaha jata hai . तो आप बिलकुल सही जगह आए है। आज के Article में हम आयुर्वेद के पिता किसे माना जाता है ? और आयुर्वेद क्या है के बारे में जानेंगे। चलिए शुरू करते है,

Ayurved Ka Pita Kise Mana Jata hai

Ayurved Ka Pita Kise Mana Jata hai | आयुर्वेद के पिता कौन है ?

दोस्तों पहले के समय में शरीर को निरोगी रखने के लिए, रोग हो जाने पर रोग मिटाने के लिए तथा आयु को बढ़ाने के लिए आयुर्वेद सहारा लिया जाता था। आज भी कुछ लोग आयुर्वेद के सिद्धान्त और व्यवहार को बहुत अधिक महत्व देते हैं। माना जाता है की जब देव दानवों के बीच समुद्र मंथन हुआ, तब धन्वंतरि भगवान प्रगट हुए। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के पिता माना जाता है। उन्होने ही जगत को आयुर्वेद का सिद्धांत दिया। धन्वंतरि देव आयुर्वेद के जनक भी माने जाते है। आयुर्वेद के पास हर रोग की अचूक दवा है। चलिए जानते हे की आयुर्वेद क्या है? और क्यों धन्वंतरि देव को आयुर्वेद का पिता कहा जाता है ?

आयुर्वेद क्या है ? | Ayurved Ka Pita Kise Mana Jata hai

आयुर्वेद एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “जीवन का विज्ञान” या “जीवन का ज्ञान”. आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी संपूर्ण शरीर उपचार प्रणालियों में से एक है। इसका विकास भारत में 5,000 वर्ष से भी पहले हुआ था।

आयुर्वेद का शाब्दिक अर्थ है-

यह शब्द स्वयं दो संस्कृत शब्दों का मिश्रण है, ‘अयुर’ जिसका अर्थ है जीवन, और ‘वेद’ जिसका अर्थ है ज्ञान या विज्ञान। साथ में, वे आयुर्वेद के सार को समाहित करते हैं – ‘जीवन का विज्ञान।’

आयुर्वेद इस विश्वास पर आधारित है कि स्वास्थ्य और कल्याण मन, शरीर, आत्मा और पर्यावरण के बीच नाजुक संतुलन पर निर्भर करता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा का मुख्य लक्ष्य अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और बीमारी को रोकना है, लड़ना नहीं।

आपके द्वारा उपयोग किए जाने वाले किसी भी आयुर्वेदिक उपचार के बारे में अपने डॉक्टर से चर्चा करना महत्वपूर्ण है। जो महिलाएं गर्भवती हैं या स्तनपान कराती हैं, या जो लोग बच्चे के इलाज के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा का उपयोग करने के बारे में सोच रहे हैं, उन्हें अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लेना चाहिए। भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में सबसे बड़ा पुरस्कार धनवंतरी पुरस्कार को माना जाता है।

Ayurved Ka Janak Kise Kaha Jata Hai

भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक कहा जाता है। धन्वंतरि देवता स्वास्थ्य, आरोग्य, तेज तथा दीर्धायु के देवता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। उनकी पूजा करने से स्वस्थ शरीर और दीर्धायु का वरदान मिलता है। कई आयुर्वेद ग्रंथो में धन्वंतरि देव का उल्लेख किया गया है। आपको धन्वंतरि देव का विभिन्न रूपों का वर्णन आयुर्वेद, सुश्रुत संहिता, चरक संहिता, कश्यप संहिता और अष्टांग हृदय जैसे प्राचीन ग्रंथो में मिल जाएगा।

आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि का उल्लेख महाभारत, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण, श्रीमद्भागवत गीता में भी पाया गया है। धन्वंतरि देव को भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है। धन्वंतरि देव विष्णु भगवान के चर्तुभुज रूप में है, उनकी ऊपरी दो भुजाओं में शंख और चक्र है। अन्य दो भुजाओं में से एक में जल और ओषधि और दूसरे में अमृत का कलश लिए हुए है।

धन्वंतरि देव की प्रिय धातु पीतल मानी जाती है। इसलिए धनतेरस के दिन पीतल के बर्तन या अन्य सामान खरीदना शुभ माना जाता है। आयुर्वेद का अभ्यास कर रहे डॉक्टर धन्वंतरि देव को स्वास्थ्य के देवता मानते है।

आयुर्वेद कैसे काम करता है? | आयुर्वेद के सिद्धांत

आयुर्वेदिक मान्यताओं के अनुसार, जिस तरह हर किसी का फिंगरप्रिंट अद्वितीय होता है, उसी तरह प्रत्येक व्यक्ति की ऊर्जा का एक अलग पैटर्न, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विशेषताओं का एक विशिष्ट संयोजन होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक भी मानते हैं कि तीन बुनियादी ऊर्जा प्रकार होते हैं जिन्हें दोष कहा जाता है, जो हर व्यक्ति में मौजूद होते हैं:

वात. ऊर्जा जो गति से जुड़े शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करती है, जिसमें रक्त परिसंचरण, सांस लेना, पलकें झपकाना और दिल की धड़कन शामिल है। जब वात ऊर्जा संतुलित होती है, तो रचनात्मकता और जीवन शक्ति आती है। संतुलन से बाहर, वात भय और चिंता पैदा करता है।

पित्त. ऊर्जा जो पाचन, अवशोषण, पोषण और तापमान सहित शरीर की चयापचय प्रणालियों को नियंत्रित करती है। संतुलन में, पित्त संतोष और बुद्धिमत्ता की ओर ले जाता है। संतुलन से बाहर, पित्त अल्सर का कारण बन सकता है और गुस्सा पैदा कर सकता है।

कफ :- माना जाता है कि कफ दोष मांसपेशियों की वृद्धि, शरीर की ताकत और स्थिरता, वजन और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करता है। जो चीजें कफ को बाधित कर सकती हैं उनमें दिन के समय झपकी लेना, बहुत अधिक मीठे खाद्य पदार्थ खाना, और ऐसी चीजें खाना या पीना शामिल है जिनमें बहुत अधिक नमक या पानी होता है।

आयुर्वेद के फायदे क्या हैं?

आयुर्वेद दुनिया में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है क्योंकि लोग पश्चिमी चिकित्सा के विकल्प ढूंढ रहे हैं। आयुर्वेद के कुछ स्वास्थ्य लाभ नीचे दिए गए हैं।

तनाव और चिंता को कम करता है

आयुर्वेद के प्राथमिक सिद्धांतों में से एक शरीर और दिमाग में संतुलन बनाए रखना है। तनाव और चिंता इस संतुलन को बिगाड़ देते हैं, जिससे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं। आयुर्वेदिक उपचार, जैसे ध्यान, योग और मालिश, तनाव को कम करने और विश्राम को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है

आयुर्वेद के उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और मसालों का उपयोग होता है, जिससे प्रतिरक्षा की क्षमता बढ़ती हैं। अश्वगंधा, हल्दी और अदरक जैसी जड़ी बुट्टी से प्रति रोधक क्षमता बढ़ती है। इन जड़ी-बूटियों और मसालों में एंटीऑक्सिडेंट और सूजन-रोधी क्षमता होती हैं जो शरीर को संक्रमक बीमारी से बचाती हैं।

पाचन को बढ़ावा देता है

आयुर्वेद स्वास्थ्य के लिए अच्छे पाचन पर महत्व देता है। त्रिफला, तीन फलों का एक हर्बल मिश्रण और अदरक जैसी आयुर्वेदिक ओषधियों से पाचन अच्छा रहता है और साथ ही कब्ज और सूजन जैसी पाचन समस्याओं में राहत दिलाने में मददगार करता हैं। आयुर्वेद भी ऐसा खाना खाने की मनाई है, जो पचने ने आसान न हो और भारी भोजन से परहेज करने की सलाह दी गई है।

त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करता है

आयुर्वेद में त्वचा को पाचन तंत्र को जुड़ा हुआ माना गया है। इसलिए, आयुर्वेदिक उपचार त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार के लिए पाचन अच्छा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता हैं। तेल मालिश और हर्बल भाप स्नान जैसे आयुर्वेदिक उपचारों से त्वचा की बनावट में सुधार और उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में मदद मिलती है।

मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ाता है

आयुर्वेद प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और उपचारों का उपयोग करता है जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। संज्ञानात्मक वृद्धि के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी ब्राह्मी जैसे आयुर्वेदिक उपचार से याददाश्त, सीखने और एकाग्रता में सुधार पाया गया है। ध्यान और योग जैसे आयुर्वेदिक उपचारों से भी मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और संज्ञानात्मक प्रदर्शन में सुधार पाया गया है।

हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करता है

आयुर्वेद हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को महत्व देता है। कार्डियो-सुरक्षात्मक प्रभावों को कम करने वाली जानी मानी जड़ी-बूटी अर्जुन जैसे हृदय के स्वास्थ्य में सुधार करती हैं।

नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है

आयुर्वेद नींद को स्वास्थ्य के स्तंभों में से एक मानता है। ध्यान, मालिश जैसे आयुर्वेदिक उपचार और अश्वगंधा जैसे हर्बल उपचार से नींद की गुणवत्ता में सुधार आता है।

आयुर्वेद भी नियमित नींद की दिनचर्या का पालन करने और सोने से पहले उत्तेजक गतिविधियों से बचने की सलाह देता है।

दोस्तों आज के आर्टिकल में हमने जाना की Ayurved Ka Pita Kise Mana Jata hai . आशा करते है आपको इस Article से कुछ जानकारी जरूर मिली होगी और आपको आपके सवाल का जवाब भी मिल गया होगा। हम ऐसे ही आपकी जानकारी बढ़ाने वाले आर्टिकल लाते रहेंगे। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो इस आगे share करना न भूले। अगर आपको कुछ समझ न आए और आपको कुछ सुझाव देना हो, तो आप हमे Comment भी कर सकते है। Article यहाँ तक पढ़ने के लिए Thank You …..

FAQ’s About Ayurved Ka Pita Kise Mana Jata hai

1. आयुर्वेद का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ कौन सा है

चरकसंहिता आयुर्वेद का सबसे प्रसिद्द और सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है।

2. पृथ्वीलोक में आयुर्वेद के प्रथम अध्येता कौन थे

पृथ्वीलोक में भगवान धन्वन्तरि को आयुर्वेद के प्रथम अध्येता माना जाता है।

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